प्रत्येक मनुष्य का मुख्य ध्येय होता है - सदैव आनंदित रहना। और इसके लिए हम सभी को एक संतुलन की आवश्यकता होती है। 'विश्व स्वास्थ्य संगठन' ने भी एक 'आदर्श स्वस्थ व्यक्ति' की जो परिभाषा बताई है, उसके अनुसार व्यक्ति को चार प्रकार से स्वस्थ होना चाहिए - शारीरिक, मानसिक, सामाजिक व आध्यात्मिक रूप से। जो इन चारों विशेषताओं में सही संतुलन नहीं बैठा पाता, वह अस्वस्थ ही होता है। प्रायः हम शुद्ध मानसिकता व आध्यात्मिकता की अनदेखी करते हैं; जबकि सच यही है कि समस्त दैनंदिन कार्यों में इन दोनों को शामिल करने से हमारे कार्यों की गुणवत्ता व सफलता का प्रतिशत बढ़ता है तथा मन भी शांत रहता है। इसी दिशा में हमारा यह बहुत छोटा सा कदम है कि हमने यह केन्द्र खोलने का साहस किया। यहाँ हमने अधिकांश धार्मिक पंथों व विचारकों का साहित्य पठन हेतु संगृहीत किया है। तथा जीवन में आने वाली विभिन्न समस्याओं के निदान हेतु वैयक्तिक / सामूहिक परामर्श भी उपलब्ध है। अंधविश्वासों से बिलकुल परे हमारा यह उपक्रम पूर्णतया यथार्थवादी है। साथ ही व्यक्तिगत रूप से मैं 'गूगल' का बहुत आभारी हूँ, जिनके सौजन्य व सहयोग से मैं कुछ सही-गलत विचार आप सब से साझा कर पा रहा हूँ। [सम्पर्क सूत्र - 9336764280]