Monday, March 30, 2009

(४) आध्यात्मिक रूप से स्वस्थ अर्थात्

आध्यात्मिक रूप से स्वस्थ अर्थात्, .... समझना बहुत आसान है। जो निज संस्कृति-अनुसार कुछ भी खाता-पीता है, भाषा बोलता है, रहन-सहन कैसा भी है; परन्तु जिसके विचार पवित्र हैं, कामी, क्रोधी, लालची, दुराचारी, भ्रष्ट आदि नहीं है, जो दुर्भावनावश किसी अन्य को शारीरिक या मानसिक क्षति पहुँचाने की नहीं सोचता, यश-कीर्ति आदि की बहुत अधिक अभिलाषा नहीं रखता, विनम्र है, दूसरों का भी अत्यधिक ध्यान रखने वाला है, सत्य-प्रेमी है, कुटिल नहीं है, वह आध्यात्मिक रूप से स्वस्थ है।

आध्यात्मिक स्वस्थता का स्तर मनुष्य दर मनुष्य भिन्न-भिन्न हो सकता है। पर मोटे तौर पर देखा गया है कि संघ दर संघ यह भिन्न-भिन्न होता है। क्योंकि मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है, उसे संघ में रहना आवश्यक होता है, संघ और व्यक्ति में एकता न हो तो उस व्यक्ति का अस्तित्व खतरे में होता है। अतः किसी एक संघ (समुदाय, प्रान्त या देश) के लोगों का आध्यात्मिक स्तर थोड़ी-बहुत भिन्नता के बावजूद कमोवेश एक समान ही होता है।

पुनः, जो व्यक्ति अपने आचरण द्वारा आत्मा के मूल गुणधर्म जितने अधिक प्रकट करता है, वह उतना ही अधिक आध्यात्मिक है। आत्मा के मूल गुणधर्म अर्थात् विभिन्न धर्मग्रंथों के नीति-वचनों में बताये गए विभिन्न नैतिक गुण ही। हम देखते हैं कि बहुत से विरोधाभासों के बावजूद, विभिन्न समुदायों के ग्रंथों में बताये गए अच्छे गुण (नैतिकता का पाठ) लगभग समान ही हैं। वस्तुतः यही गुण ईश्वर, परमात्मा या आत्मा के हैं। ये गुण हम सब मनुष्यों में भी अविद्या के आवरण के भीतर विद्यमान हैं। आवश्यकता है तो बस उन्हें अपने आचरण द्वारा प्रकट करने की। जो व्यक्ति या जो संघ इन्हें जितनी अधिक मात्रा में प्रकट कर रहा है, वह आध्यात्मिक रूप से उतना ही अधिक स्वस्थ है। अन्य शब्दों में, .. जो जितना धार्मिक (righteous) है, वह उतना ही अधिक आध्यात्मिक भी है।

आध्यात्मिक रूप से स्वस्थ होने का पैमाना (मापदंड) वाह्य स्थूल कृत्य, जैसे - खान-पान, बोली, भाषा, रहन-सहन आदि नहीं हैं, बल्कि व्यक्ति के आत्मिक गुणों का उसके आचरण द्वारा प्रकटीकरण है। सच्ची धार्मिकता या आध्यामिकता, स्थूल रिलीजियस (religious) यंत्रवत कर्मकांड आदि करने से भी प्रकट नहीं होती, वरन हमारी सच्ची विनम्रता, कोमलता, वैचारिक पवित्रता व अपने समान दूसरों का भी ख्याल रखने वाली भावनाओं आदि से प्रकट होती है। ... इसे समझना आसान है, पर जीवन में लागू करना जरा सा मुश्किल। आइये कोशिश करते रहें। इति।